Tuesday, September 23, 2014

Hindi Poem by Alok Mishra; Recited on the day of 'Communal Harmony and National Integration' oration day in Nalanda College

की अब देश ने पुकारा है जागो 
ऐ मानुष, इंसानों से दूर न भागो,
हस्ती है इंसान की अपनी
उसे धर्म पे न तोल - 
धर्मं की गरिमा का 
तू क्या जाने मोल - 

धर्म मजहब नहीं सिखाता
मानवता के पथ से हटना,
स्वार्थहीन परमार्थ ही है 
धर्म पथ पर चलना ...

और धर्मं ही कहता है
राष्ट्र हित में भी मरना,
और शहीदों की पहचान भी
तू मजहब से मत करना...

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