की अब देश ने पुकारा है जागो
ऐ मानुष, इंसानों से दूर न भागो,
हस्ती है इंसान की अपनी
उसे धर्म पे न तोल -
धर्मं की गरिमा का
तू क्या जाने मोल -
धर्म मजहब नहीं सिखाता
मानवता के पथ से हटना,
स्वार्थहीन परमार्थ ही है
धर्म पथ पर चलना ...
और धर्मं ही कहता है
राष्ट्र हित में भी मरना,
और शहीदों की पहचान भी
तू मजहब से मत करना...
No comments:
Post a Comment