बादलों के ऊपर भी है एक जहान
वहां भी है किसीका आशियाँ
दूर इन ग़मों से संसार के
बसते हैं कुछ लोग वहां...
पूछूं मैं उनसे अगर मिलें वो कभी,
पर हमारी ऐसी तक़दीर कहाँ?
सागर की लहर के जैसे आना
और बस वैसे ही चले जाना
समेटे सारे खुशियों और ग़मों को...
यहीं जमीं पर है हमारा आशियाँ....
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